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लेखनी कहानी -28-Apr-2022 पैरोडी

पैरोडी 

तर्ज : मान जाइए  मान जाइए  
बात मेरे दिल की मान  जाइए  

मान जाइए  मान  जाइए  
बात  मेरे दिल  की जान जाइए  
सुनो जी सनम , तुम्हारी कसम 
ऐसे ना बनो अनजान जाइए  
मान जाइए  मान  जाइए  
बात मेरे दिल की जान जाइए  

अंतरा नंबर 1 

ऐसा हमने क्या किया जो आप हमसे खफा हुए  
बात ऐसी कुछ भी नहीं थी जो आप यहां से दफा हुए 
तुम्हारी इसी बात से खुराफात  से 
हम हैं बड़े ही हैरान जाइए  
अजी मान जाइए  मान जाइए 
बात मेरे दिल की जान जाइए  

अंतरा नंबर  2 

तुमको मन मंदिर में बसा के पूजा करते हैं सजनी 
कैसे बताऐं तुमको कि चाहत तुमसे हमको है कितनी 
हमारे प्रेम का सिला हमें यूं मिला 
टूट गये अरमान जाइए  
अरे मान जाइए मान जाइए 
बात मेरे दिल  की जान जाइए  
अजी मान जाइए मान जाइए 
बात मेरे दिल  की जान जाइए 
सुनो जी सनम तुम्हारी कसम 
ऐसे ना बनो अनजान  जाइए  
ओ मान जाइए मान जाइए 
बात मेरे दिल  की जान जाइए  

हरिशंकर गोयल  "हरि"
28.4.22 

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4 Comments

Seema Priyadarshini sahay

29-Apr-2022 10:07 PM

👌👌

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Swati chourasia

28-Apr-2022 06:54 PM

बहुत खूब 👌

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Fareha Sameen

28-Apr-2022 02:22 PM

अच्छा लिखा

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